Tuesday 1 December 2009

अच्छा तो शुरू करो

कई दिन हो गए, और बहुत कुछ हुआ,और कुछ नही भी हुआ |क्या ऐसा नही लगता की हम ठहर गए या थम से गए हैं |समय गुजरे और और सामने से कुछ भी ना गुजरे|ये तो अति ही है| लगभग पूरा साल होने को आया और हुआ क्या|जहाँ तक मेरी याद जाती है, अच्छा तो याद नही आता| पर जो याद आता है, वो कुछ अच्छा नही है| शायद कुछ अच्छा होता तो, नज़रों के सामने कुछ तो होता|अब अपनी नज़रों के सामने कुछ अच्छा सा गुज़रे इसके लिए हम सब अच्छा अच्छा करें तो सिर्फ़ हम ही हम रह जायेगें ,तो क्या करें| अच्छा तो करना शुरू करूँ |

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