Friday 25 December 2009

जो याद रह जाता है...

अन्तत: साल अपने पूर्ण विराम पर पहुँच रहा है।और, देश को पूरे वर्ष अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर "हम भी कुछ हैं" की घोषणा करते पाये गये,सिर्फ इतना याद रह जाता है।विदेश-नीति बेहतर हो अच्छी बात है।पर हमारी क्या नीति है,ये अगर हमे स्पष्ट कर दें तो हम भी ये समझ पायेंगे कि आप विदेशों मैं किस नीति की चर्चा करते हैं।हम नही जानते की कल क्या होगा, पर "कल" हमारी सरकार हमें कहाँ ले जाना चाहती है,ये स्पष्ट होना चाहिये।जैसे, २५ साल बाद हम देश कैसा देखेंगे।धन बढेगा ये दिखाई देता है।और कुछ नही दिखाई देता।हम ये तो कह नही रहे की आप जो कहोगे वही होना है,पर हम शायद कोई योगदान कर पायें।एक चीज़ स्पष्ट है देश की जनता खड़ी है साथ देने को,आप ज़मीन तो दो...

1 comment:

  1. aakhiri pankti bahot kuch kehti hai ... "desh ki janta khadi hai saath dene ko, aap zameen tho do ... " Bahot khoobh!! :)

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