बंद को लेकर उलझन भी है और परेशानी भी कि क्या ये तरीका है सुधार का, बदलाव का!
जब हम बच्चे थे तो हमारे पास सिर्फ़ बंद करने अतिरिक्त और कोइ रास्ता था नही,माता-पिता के सामने और धीरे-धीरे हम भी इसका अभ्यास कर लेते थे अलग-अलग तरीके से। अब शायेद भूल गये हैं।
राजनिति भी वहीं से संचालित होती है...जीवन से...हम ये समझ नही पा रहे हैं कि अपने ज़मीन को देखें कैसे...मूर्खतापूर्ण लगता है ये,ज़मीन को क्या देखना...मैने देखने की कोशिश की तो अपने सातवें पुश्त पर जाकर रुका...मेरी समझ ये आया कि खुद को समझने के पहले ज़मीन समझने कोशिश करें... मैं पैदा हुआ बिहार।पिता जौनपुर लखमापुर,खेतासराय।माता बनारस शाजहाँपुर।अब ये सिर्फ़ जगह नही है ये अलग-अलग संस्कृतियाँ हैं संस्कार हैं और अब मैं इन सब का मिश्रण हूँ।
तो अब हुआ क्या रहता मुम्बई में हूँ, तो, है ना उलझाउ,ये काम था, व्यवस्था का, कि वो इसे सरल बनाती...क्यूँकि हम अपने देश के किसी भी हिस्से में हों उसका कम से कम छ्ह हज़ार साल पुराना प्रमाण हमारे सामने होगा...हम मानते हैं कि देश ६५साल पहले आज़ाद हुआ...अब ६५ के सामने छ हज़ार कुछ ज्यादा ही अंतर लगता है।६५ साल में हम विकसित हो गये और स्व्तंत्र हो गये अपने अपने ढंग से।पर हम आस्था विश्वास सबंध शर्म ये नही छोड़ सके। ये शरीर के अंदर होता है,ये अपने आप कहीं से निकलता है और हम खु़द नही समझ पाते।हम उपर से कुछ भी पहन लें, बोलें लें, कैसे भी रह लें, ये नही बदलता।दुनिया का ये एक ऐसा देश है जहाँ जीने का रास्ता है, तरीका है,व्य्वस्था है, धर्म नही है।***ग्रंथ कहते हैं कि कर्म ही धर्म है और हम उसे ही नकार रहे हैं।यानी हम जो करते हैं वही हमारा धर्म है,आसान है।तो समस्या कहाँ है... राजनिति की समझ का ना होना...ये आरोप नही है ये उनकी चालाकी है...वो धर्म जाति बन गई और जाति आरक्षण।वो बाँट-बखरा अभी भी चल रहा है..हम शामिल हैं...और पूछते हैं बंद से क्या होगा...अपनी सुविधा क ख्याल थोडा़ कम करना चाहिये और थोडा़ ज्यादा दूसरे का ख्याल कर लें..विश्वास करें ये इतना ही सरल है...
.वो धर्म जाति बन गई और जाति आरक्षण।वो बाँट-बखरा अभी भी चल रहा है..हम शामिल हैं...और पूछते हैं बंद से क्या होगा..
ReplyDeletegreat
सही लिखा है कछुआ चाचा....पत्थर हो चुकी केंद्र सरकार के पास न तो इतने समझदार नीति निर्धारक है जो किसी समस्य़ा का हल निकाल सके न ही वो चाहते है कि किसी समस्य़ा का हल निकले....क्योंकि चुनावों में अभी बहुत देर है मेरे भाई
ReplyDeleteब्लागिंग की दुनिया में आपका स्वागत है. आपकी अभिव्यक्ति की शैली प्रभावकारी है. यूं ही लिखते रहें...
ReplyDeleteब्लाग खोलने पर पहले एडल्ट कंटेंट का नोटिस आता है। सेटिंग में जाकर इसे ठीक कर लें। बैकग्राउंड ब्लैक होने के कारण मैटर और टिप्पणी पढ़ने में कठिनाई होती है। बैकग्राउंड कलर चेंज करने पर भी ध्यान दें।
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"अपनी सुविधा क ख्याल थोडा़ कम करना चाहिये और थोडा़ ज्यादा दूसरे का ख्याल कर लें..विश्वास करें ये इतना ही सरल है..." प्रेरक आलेख
ReplyDeleteटिप्पणियों का फॉण्ट कलर ठीक करें
ReplyDeleteसही लिखा आपने ...राजनीती की समझ ही तो नहीं है यहाँ किसी को..बस जैसी बयार चली उसी मे बह गए
ReplyDeletepoems प्रोब्लम हो रही है फॉण्ट का रंग बदले