हम रोक सकते हैं...
अगर हम वो ना सोचें जो ’वो’ बाध्य करते हैं,सोचने को..हम जानते हैं कि जो बहस का मुद्दा है...हमारे या किसी के,हिलाने-तोड़ने से कुछ होगा नही ’उसे’...वो तो सत्य है समय है सनातन है...हम वो सोचें जो हम सोचना चाहते हैं...हम खुद वो सोच पैदा करें...हम खारिज करना सीखें...हम शब्दों के शतरंजी बिसात से बचें...और उनके बीच रहें...हम आपस में बात करें...हम उनकी बात क्यूँ करें...वो चाहते हैं हम उनकी बात करें...हम अपनी बात करें...हम समझें की हमारी बात क्या है...कि, वो ना हो...तो, हमें भय किससे...
कुछ भी हो जाये वो नही होगा, जो हम नही चाहते...हम की ताकत समझें...जीत हमारी है...क्यूँकि हम वो नही चाहते....तो वो नही होगा..
अगर हम वो ना सोचें जो ’वो’ बाध्य करते हैं,सोचने को..हम जानते हैं कि जो बहस का मुद्दा है...हमारे या किसी के,हिलाने-तोड़ने से कुछ होगा नही ’उसे’...वो तो सत्य है समय है सनातन है...हम वो सोचें जो हम सोचना चाहते हैं...हम खुद वो सोच पैदा करें...हम खारिज करना सीखें...हम शब्दों के शतरंजी बिसात से बचें...और उनके बीच रहें...हम आपस में बात करें...हम उनकी बात क्यूँ करें...वो चाहते हैं हम उनकी बात करें...हम अपनी बात करें...हम समझें की हमारी बात क्या है...कि, वो ना हो...तो, हमें भय किससे...
कुछ भी हो जाये वो नही होगा, जो हम नही चाहते...हम की ताकत समझें...जीत हमारी है...क्यूँकि हम वो नही चाहते....तो वो नही होगा..
khoobh kahen hain... kam likhen hain par bahot kuch keh gaye ... very nice!:)
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