Wednesday 29 June 2011

जब विरोध करना हो...


जब हमें विरोध करना हो तो अपने ही कार्य की तीव्रता बढ़ा लेंनी चाहिये...विरोधी सामने आ जायेगा।पर इसके पहले हमें ये सुनिश्चित करना होगा की हम "करते क्या हैं"...अगर,जीने की जद्दोजहद और उसकी पूर्ति,तो,ये तो जीवन का धर्म है...जीवन में हम ये धर्म "कैसे" पूर्ण करते हैं,यही जीवन का कर्म है...हमारा कर्म ही हमारे जीवन की दिशा निर्धारित करता है...यानी हम अपने जीवन में धर्म का पालन कैसे करते हैं यही हमारा मूल कर्म होना चाहिये...

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